नहीं रहे ईसाई धर्मगुरु पोप फ्रांसिस, 88 वर्ष की उम्र में हुआ निधन

खबर शेयर करें 👉

वेटिकन सिटी। ईसाइयों के सबसे बड़े धर्मगुरु पोप फ्रांसिस का निधन हो गया है। उन्होंने 88 वर्ष की उम्र में अंतिम सांस ली। पोप फ्रांसिस हाल ही में रोम के जेमेली अस्पताल में भर्ती थे। वह फेफड़े के जटिल संक्रमण से पीड़ित थे जिसके कारण उनके गुर्दे में भी खराबी के शुरुआती चरण नजर आने लगे थे।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में वेटिकन की ओर से कहा गया है कि “पोप फ्रांसिस का ईस्टर सोमवार, 21 अप्रैल, 2025 को 88 वर्ष की उम्र में वेटिकन के कासा सांता मार्टा स्थित अपने निवास पर निधन हो गया।” पोप फ्रांसिस को उनकी सादगी, दया और गरीबों के प्रति सहानुभूति के लिए जाना जाता है। उन्होंने सादा जीवन जीने की मिसाल पेश की है। पोप अक्सर सामाजिक न्याय, पर्यावरण संरक्षण, शरणार्थियों के अधिकार और धार्मिक सहिष्णुता जैसे मुद्दों पर खुलकर बोलते थे। पोप फ्रांसिस ने चर्च में पारदर्शिता और सुधार लाने की दिशा में कई पहल कीं। उनका मानना है कि चर्च को केवल परंपरा में नहीं, बल्कि वर्तमान युग की चुनौतियों के साथ कदम से कदम मिलाकर चलना चाहिए।

पोप फ्रांसिस के निधन पर 9 दिन का शोक मनाया जाएगा

पोप फ्रांसिस ने साल 2013 में पोप का पद संभाला था। वेटिकन द्वारा जारी एक बयान में कार्डिनल केविन फैरेल ने कहा, “प्रिय भाइयों और बहनों, मुझे बड़े दुख के साथ हमारे पोप फ्रांसिस के निधन की सूचना देनी पड़ रही है। आज सुबह 7:35 बजे रोम के बिशप फ्रांसिस प्रभु के घर लौट गए। उनका पूरा जीवन प्रभु और उनकी चर्च की सेवा के लिए समर्पित रहा। उन्होंने हमें सुसमाचार के मूल्यों को निष्ठा, साहस और सार्वभौमिक प्रेम के साथ जीना सिखाया, खासकर सबसे गरीब और हाशिए पर रहने वालों के पक्ष में।”

पोप ने दी थीं ईस्टर की शुभकामनाएं

अमेरिका के उपराष्ट्रपति जे डी वेंस ने रविवार को पोप फ्रांसिस से मुलाकात की थी। जेडी वेंस से मुलाकात करने के साथ ही पोप फ्रांसिस ईस्टर के अवसर पर सेंट पीटर्स स्क्वायर में हजारों लोगों को आशीर्वाद देने के लिए लोगों के सामने भी आए थे। इस अवसर पर लोगों की भीड़ ने तालियां बजाकर उनका स्वागत किया था। पोप फ्रांसिस ने लोगों को ईस्टर की शुभकामनाएं देते हुए कहा था, ‘‘भाइयो और बहनों, ईस्टर की शुभकामनाएं।

पोप फ्रांसिसः संक्षिप्त परिचय

पोप फ्रांसिस का असली नाम जॉर्ज मारियो बर्गोग्लियो था। उनका जन्म 17 दिसंबर 1936 को ब्यूनस आयर्स, अर्जेंटीना में हुआ था। पोप फ्रांसिस पहले गैर-यूरोपीय पोप थे। फ्रांसिस 13 मार्च 2013 को पोप चुने गए, जब उनके पूर्ववर्ती पोप बेनेडिक्ट XVI ने इस्तीफा दे दिया था। वे 266वें पोप थे। पोप फ्रांसिस ने कैमेस्ट्री साइंस में डिग्री हासिल की और कुछ समय तक बतौर कैमेस्ट्री टेक्नीशियन काम किया। बाद में उन्होंने दर्शनशास्त्र और धर्मशास्त्र की पढ़ाई की। वह 1958 में जेसुइट ऑर्डर में शामिल हुए और 1969 में पादरी बने। वे अर्जेंटीना के पहले जेसुइट पोप हैं। फ्रांसिस अपनी सादगी के लिए जाने जाते थए। पोप बनने के बाद भी उन्होंने वेटिकन के भव्य महल में रहने से इनकार कर दिया और साधारण गेस्टहाउस में रहे। वे गरीबों और हाशिए पर रहने वालों के लिए काम करने के लिए मशहूर हैं। 2025 में उन्हें निमोनिया, किडनी फेल्योर और फेफड़ों में फंगल इंफेक्शन का सामना करना पड़ा.वे 14 फरवरी 2025 को अस्पताल में भर्ती हुए और 38 दिनों तक इलाज चला

नए पोप की नियुक्ति की प्रक्रिया होगी शुरू

पोप फ्रांसिस के निधन के बाद नये पोप की नियुक्ति के लिए कॉन्क्लेव प्रक्रिया शुरू होगी, जो आमतौर पर पोप के निधन के 15 से 20 दिनों के बीच होती है। निधन से एक दिन पहले, पोप ने ईस्टर संडे सेवा के दौरान भीड़ का अभिवादन किया था और अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस से मुलाकात की थी। उनके निधन से वैटिकन और विश्व भर के कैथोलिक समुदाय में शोक छाया हुआ है।