धराली आपदाः बादल फटा या फिर ग्लेशियर टूटने से मची तबाही !

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न्यूज निरपेक्ष, देहरादून। उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के धराली गांव में आई बाढ़ बादल फटने से नहीं आई थी। विशेषज्ञों का मानना है कि यह ग्लेशियर के टूटने से आई। मौसम विभाग के अनुसार आपदा के समय बारिश बहुत कम हुई थी। सैटेलाइट तस्वीरों से पता चला है कि इलाके के ऊपर कई ग्लेशियर झीलें हैं। ऐसे में संभव है कि यह तबाही किसी ग्लेशियर या ग्लेशियर झील के टूटने से हुई हो। इस घटना में जहां सौ से भी अधिक लोग लापता हैं वहीं चार लोगों के मौत की पुष्टि अभी तक हुई है।
उत्तराखंड में उत्तरकाशी के धराली गांव में आए विनाशकारी सैलाब का कारण जानने की कोशिश जारी है। विशेषज्ञों का मानना है कि तबाही की यह घटना बादल फटने से नहीं बल्कि ऊपर की ओर किसी ग्लेशियर के टूटने या ग्लेशियर झील के फटने से हुई। शुरू में घटना के पीछे बादल फटने की आशंका जताई जा रही थी। लेकिन मौसम विभाग और सैटेलाइट से मिले डेटा का अध्ययन करने वाले विशेषज्ञों का कहना है कि घटना से पहले धराली के ऊपरी क्षेत्रों में इतनी अधिक बारिश नहीं हुई थी कि इतना बढ़ा सैलाब आ जाए।
मौसम विभाग (IMD) ने बताया कि आपदा के समय बारिश बहुत कम हुई थी। इससे बादल फटने की बात पर सवाल खड़े रहे हैं। हर्षिल में मंगलवार को सिर्फ 6.5 मिमी बारिश हुई। 24 घंटे में हर्षिल में 9 मिमी और भटवाड़ी में मात्र 11 मिमी बारिश दर्ज की गई। ऐसे में अचानक इतना भयंकर सैलाब आने के लिए यह बारिश बहुत कम है। क्षेत्रीय मौसम विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक रोहित थपलियाल ने कहा कि “प्रभावित क्षेत्र में 24 घंटों में बहुत हल्की बारिश हुई। उत्तरकाशी में सबसे ज्यादा बारिश जिला मुख्यालय में 27 मिमी दर्ज की गई। एक अन्य वरिष्ठ वैज्ञानिक ने कहा, “इतनी कम बारिश से इतनी बड़ी बाढ़ नहीं आ सकती। इससे लगता है कि ग्लेशियर का टूटना या ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड जैसी कोई बड़ी घटना हुई होगी। यह भी हो सकता है कि कई दिनों से हो रही बारिश के कारण धराली के ऊपरी क्षेत्रों में कोई कृतिम झील बनी हो और फिर उसके फचने से यह बड़ी तबाही हुई हो। हालांकि यह शोध और जांच के बाद हो स्पष्ट हो सकेगा।
विशेषज्ञों के अनुसार प्रभावित इलाके के ठीक ऊपर कई ग्लेशियर और ग्लेशियर झीलें मौजूद हैं। उनका मानना है कि खीर गाड़ धारा के ठीक ऊपर एक ग्लेशियर है। ऐसे में इस भयंकर सैलाब आने के पीछे किसी ग्लेशियर झील का फटना या ग्लेशियर टूटने की घटना भी हो सकती है। वरिष्ठ भूविज्ञानी और उत्तराखंड आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के पूर्व कार्यकारी निदेशक पीयूष रौतेला के अनुसार ऐसी आपदाएं तब आती हैं जब ऊंचाई पर पानी झील के रूप में जमा हो जाता है और अचानक झील फटने से पानी सैलाब के रूप में बहने लगता है। सिर्फ भारी बारिश से  ऐसी आपदा नहीं आ सकती।

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